चंदा छुपा बादल में’, ‘चंदा मामा दूर के’, चांद सी महबूबा हो मेरी’ जैसे कई हिंदी गाने हैं, जो चांद पर लिखे गए। इन्हें लिखने वाले कभी चांद पर नहीं गए। लेकिन उनकी कल्पनाओं में चांद ऐसा है। आपको वो लोग याद हैं ना, जो चांद पर जा चुके हैं? नील आर्मस्ट्रांग तो सबको याद हैं, क्योंकि वह पहले शख्स थे जिन्होंने चांद पर कदम रखा था। लेकिन इनके बाद भी कई अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए और उसकी जमीन पर अपने निशां छोड़े। लेकिन दुनिया उन्हें नहीं पहचानती! क्योंकि दुनिया फर्स्ट नंबर वाले को याद रखती है। हम यहां आपको उन 12 पुरुषों के बारे में बता रहे हैं, जो चांद पर गए। लेकिन आज कहां हैं, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
एल्ड्रिन भी अपोलो 11 मिशन पर गए थे। वह दूसरे शख्स थे, जिनके कदम चांद पर पड़े। 86 साल की उम्र में एल्ड्रिन ने साउथ पोल (दक्षिण ध्रुव) तक पहुंच कर एक रिकॉर्ड भी कायम किया। वह ऐसा करने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बन गए। साल 2016 में इस टाइटल को हासिल करने के बाद उन्होंने का था, ‘मैने मौत को बेहद करीब देखा।’ हाल ही, एल्ड्रिन अपने बच्चों के साथ कानूनी विवाद के कारण सुर्खियों में थे। 90 वर्षीय एल्ड्रिन फ्लोरिडा में रहते हैं।
पेटे कॉनराड चांद पर कदम रखने वाले तीसरे शख्स थे। वह नंवबर 1969 में हुए अपोलो 12 मिशन का हिस्सा थे। साल 1973 में नासा से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने एक बिजनेसमैन के तौर पर काम किया। लेकिन साल 1999 में कैलिफोर्निया में उनकी मोटरसाइकिल का एक्सिडेंट हो गया, जिसमें उनकी जान चली गई। वह 69 साल के थे।
FAQ for Chand par kon kon gaya hai
प्रश्नोत्तरी: चाँद पर कौन-कौन गया है?
प्र: मेरे अंतिम अद्यतन सितंबर 2021 में, चाँद (मून) पर किसी मनुष्य द्वारा जाने की कोई रिकॉर्ड नहीं है, जब सोने की अंतिम अपोलो मिशन दिसंबर 1972 में संपन्न हुआ था। हालांकि, चाँद के सतह का अन्वेषण करने के लिए विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों ने कई रोबोटिक मिशन आयोजित किए हैं।
प्र: चाँद पर आखिरी मानव मिशन कब हुआ था?
उत्तर: चाँद पर आखिरी मानव मिशन अपोलो 17 था, जो 7 दिसंबर 1972 को प्रक्षेपण हुआ था और 19 दिसंबर 1972 को पृथ्वी पर वापस आया था।
प्र: क्या चाँद पर किसी ने स्थायी आवास किया है?
उत्तर: नहीं, मेरे अंतिम अद्यतन सितंबर 2021 में, चाँद पर किसी स्थायी मानव परिवार या आवास की कोई जानकारी नहीं है। सभी पूर्व मानव अभियानों में, अंतरिक्ष यात्री चाँद पर सीमित समय के लिए जाते थे और फिर पृथ्वी पर वापस लौटते थे।