संयुक्त व्यंजन की हिंदी वर्णमाला में कुल संख्या 4 है जो की निम्नलिखित हैं।
क्ष – क् + ष = क्ष
त्र – त् + र = त्र
ज्ञ – ज् + ञ = ज्ञ
श्र – श् + र = श्र
संयुक्त व्यंजन से बने शब्दों के कुछ उदहारण इस प्रकार हैं।
क्ष – मोक्ष, अक्षर, परीक्षा, क्षय, अध्यक्ष, समक्ष, कक्षा, मीनाक्षी, क्षमा, यक्ष, भिक्षा, आकांक्षा, परीक्षित।
त्र – त्रिशूल, सर्वत्र, पत्र, गोत्र, वस्त्र, पात्र, सत्र, चित्र, एकत्रित, मंत्र, मूत्र, कृत्रिम, त्रुटि।
ज्ञ – ज्ञानी, अनभिज्ञ, विज्ञान, अज्ञात, यज्ञ, विज्ञापन, ज्ञाता, अज्ञान, जिज्ञासा, सर्वज्ञ, विशेषज्ञ, अल्पज्ञ।
श्र – विश्राम, आश्रम, श्राप, श्रुति, श्रीमान, कुलश्रेष्ठ, श्रमिक, परिश्रम, श्रवण, आश्रित, श्रद्धा, मिश्रण, श्रृंखला।
संयुक्त अक्षर लेखन – जब दो व्यंजनों के बीच कोई स्वर नहीं होता तो उनके संयोग से बनने वाले अक्षर को संयुक्तक्षर कहते हैं। देवनागरी लिपि में संयुक्ताक्षरों को विभिन्न प्रकार से प्रकट किया जाता है।
यदि संयुक्ताक्षर के पहले अक्षर में खड़ी पाई (रेखा) हो तो उसे हटाकर दोनों अक्षरों को मिलाकर लिखा जाता है. जैसे:- ज्+व=ज्व, स्+त=स्त, न्+य=न्य।
ज्वाला – ज्वाला
त्वम् – तू, तुम
बन्धुः – संबंधी भाई
न्याय: – न्याय
शून्यम् – शून्य
स्वामी – स्वामी, मालिक
पुस्तकम् – पुस्तक
सत्यम् – सत्य
यदि र् के बाद कोई व्यंजन आए तो र् को बाद वाले व्यंजन के ऊपर (र्) चित्र द्वारा लिखा जाता है, जैसे:- र्+ व= र्व, र्+य = र्य ।
सर्वम् – सब (नपु. एक व.)
चर्या – व्यवहार
धर्म: – धर्म, कर्तव्य, गुण