सवा चार लाख रुपए में बिका तीन पैसे का डाक टिकट सही समय पर खोटा सिक्का भी लाखों का हो जाता है। ऐसे ही आजादी के पहले की तीन पैसे (आधा आना) की टिकट 4.25 लाख
“लाख” की मूल्य और महत्व: भारतीय संख्या प्रणाली का एक नज़रिया
अंगित अंक प्रणालियों की विविधता में, भारत अपने विशेष और रोचक दृष्टिकोण से उभरता है। इनमें से “लाख” एक ऐसा शब्द है जो बड़े अंकों के लिए महत्वपूर्ण रूप से इस्तेमाल होता है। इस लेख में, हम “लाख” की अवधारणा को समझेंगे और भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं में इसके मूल्य और उपयोग पर गहराई से गौर करेंगे।
“लाख” की उत्पत्ति: “लाख” शब्द की उत्पत्ति प्राचीन संस्कृत में हुई थी, जहां इसे “लक्ष” के नाम से जाना जाता था। यह भारतीय संख्या प्रणाली में सैकड़ों हजार (100,000) के लिए उपयोग होता है। इसे बड़े मात्रा की गिनती के लिए चावल के अनाज के दानों का उपयोग करके विकसित किया गया था। एक लाख के समूह का उपयोग गिनती के लिए एक मानक बन गया था, जिससे धीरे-धीरे शब्द “लाख” का निर्माण हुआ।
भारतीय संख्या प्रणाली: भारत में एक विशेष संख्या प्रणाली का अनुसरण किया जाता है, जो पश्चिमी दशमलव प्रणाली से बिल्कुल भिन्न है। जबकि पश्चिमी दशमलव प्रणाली में संख्याएं तीन के समूहों में गठित की जाती हैं (हजार, लाख, करोड़, आदि), भारतीय प्रणाली में यह समूह दो के बिजोड़ी माध्यम से गठित किया जाता है।
भारतीय संख्या प्रणाली में प्रमुख इकाईयां हैं:
- एक (१ से ९ तक)
- दस (१० से ९९ तक)
- सौ (१०० से ९९९ तक)
- हजार (१,००० से ९,९९९ तक)
- लाख (१,००,००० से ९,९९,९९९ तक)
- करोड़ (१,००,००,००० से ९,९९,९९,९९९ तक)
- अरब (१,००,००,००,००० से ९,९९,९९,९९,९९९ तक)
लाख की मूल्य: पहले भी उल्लिखित है कि भारतीय संख्या प्रणाली में एक “लाख” के बराबर १,००,००० होते हैं। पश्चिमी दशमलव प्रणाली में इसे एक लाख बोलने के लिए एक सौ वीं जगह लगाई जाती है
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